बार बेंच की रार में पेशकार की चांदी, चुटकियों में कर रहा मुकदमो का काम तमाम
- हर्रैया में माह भीतर छुट्टा पेशकार के भ्रष्टाचार ने पकड़ी रफ़्तार, किया दूसरा कारनामा।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की तहसील हर्रैया में एसडीएम के पेशकारों का दाम लेकर, मुकदमे की फाइलों में अनाप शनाप कुछ भी कर डालना, अब आम बात हो गई है। प्राथमिकता पर दैनिक सुनवाई में लगे मुकदमों को सामान्य बनाकर पीछे धकेल देने के बाद अब इन्होंने एक एक कर बाकी मुकदमों का भी अंतिम संस्कार अपने ढंग से करना शुरू कर दिया है।
बीते 12 नवम्बर को यह ख़बर सरेआम हुई थी कि, एसडीएम के पेशकार ने अपने हाकिम का आदेश बताते हुए दैनिक सुनवाई में लगे सारे मुकदमों को एक ही झटके में सूची से गायब कर दिया है।https://srishdwivedi.blogspot.com/2021/11/blog-post.html
लेकिन पेशकारों की इस करनी का संज्ञान लेने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं की। नतीजा रहा कि, माह भीतर ही पेशकारों ने अपने स्वेच्छाचार का दायरा बढ़ाते हुए और भी तमाम मुकदमों में खेल करना शुरू कर दिया। पेशकारों के इस अनैतिक कारनामों से वादी व उनके अभिभावक अधिवक्ता त्रस्त होने लगे। और आज हालात ये हो चुके हैं कि, बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को "पेशकार हटाओ तहसील बचाओ !" का नारा बुलंद करते हुए एसडीएम कोर्ट के बाहर ही देखा जाता है।
कुल मिलाकर यह स्थिति न तो वादकारियों के लिए शुभ है, न ही न्यायालय की मूल भावना के लिए। हाँ, यदि इसकी शुभता कहीं दिखती है, तो वो जगह है पेशकार की जेब। जो इसके हर कारनामे के बाद वजनी होकर थोड़ा और फूल जाती है।
बार और बेंच के बीच मतभेद का होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन, ऐसे में कोई पेशकार छुट्टा होकर भ्र्ष्टाचार में गोते लगाए। और दाम लेकर मुकदमों का भविष्य लिखने लगे। यह बिल्कुल नया और वादकारियों के लिये बेहद घातक भी है।