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अबाध घूसखोरी के लिए ही हरैया तहसील में हुआ, प्राइवेट मुंशियों का आविष्कार !

• मुख्यमंत्री की आपत्ति के बावजूद ऊपरी कमाई के लिए पाले जा रहे प्राइवेट मुंशी। • एंटी करप्शन आर्गनाइजेशन की पकड़ से बाहर होने के नाते ही पाले जा रहे गैर सरकारी मुंशी। बस्ती - जिले की बदनाम तहसील हरैया में एक बार फिर प्राइवेट मुंशियों ने अपनी पैठ विधिवत बना ली है। जिनकी संख्या स्थाई कर्मचारियों से कहीं ज्यादा है। बार बार कई उप जिलाधिकारियों द्वारा परिसर से बाहर निकाल दिए जाने के बाद भी ये प्राइवेट मुंशी दुबारा कार्यालयों/ न्यायालयों में अपनी पैठ आखिर किसके इशारे पर बना लेते हैं ? इनका कार्यालयों/ न्यायालयों में मौजूद रहना यहां किस मजबूरी से है ? यह अब शोध का विषय बन चुका है।                                                       तहसील हरैया, प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील बताई जाती है। यह इतनी बड़ी है कि कई नए बने जिले इससे छोटे बताए जाते हैं। ऐसे में जाहिर है यहां वादकारियों और अन्य कामों से आए लोगों की भीड़ भी किसी अन्य तहसील से कहीं ज्यादा रहती है। अब भीड़ ज...

बार बेंच की रार में पेशकार की चांदी, चुटकियों में कर रहा मुकदमो का काम तमाम

- हर्रैया में माह भीतर छुट्टा पेशकार के भ्रष्टाचार ने पकड़ी रफ़्तार, किया दूसरा कारनामा। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की तहसील हर्रैया में एसडीएम के पेशकारों का दाम लेकर, मुकदमे की फाइलों में अनाप शनाप कुछ भी कर डालना, अब आम बात हो गई है। प्राथमिकता पर दैनिक सुनवाई में लगे मुकदमों को सामान्य बनाकर पीछे धकेल देने के बाद अब इन्होंने एक एक कर बाकी मुकदमों का भी अंतिम संस्कार अपने ढंग से करना शुरू कर दिया है। बीते 12 नवम्बर को यह ख़बर सरेआम हुई थी कि, एसडीएम के पेशकार ने अपने हाकिम का आदेश बताते हुए दैनिक सुनवाई में लगे सारे मुकदमों को एक ही झटके में सूची से गायब कर दिया है। https://srishdwivedi.blogspot.com/2021/11/blog-post.html लेकिन पेशकारों की इस करनी का संज्ञान लेने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं की। नतीजा रहा कि, माह भीतर ही पेशकारों ने अपने स्वेच्छाचार का दायरा बढ़ाते हुए और भी तमाम मुकदमों में खेल करना शुरू कर दिया। पेशकारों के इस अनैतिक कारनामों से वादी व उनके अभिभावक अधिवक्ता त्रस्त होने लगे। और आज हालात ये हो चुके हैं कि, बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को "पेशकार हटाओ तहसील बचाओ !...

हर्रैया में पेशकार युग की हुई शुरुआत

  - एसडीएम का हवाला देकर लील गये दैनिक सुनवाई के सारे मुकदमे, अब छोटी तारीख के लिये माँग रहे दाम। पुराने राजस्व वादों के शीघ्र और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण की परिषदीय मंशा को धूल चटाने में हर्रैया तहसील के पेशकार एक बार फिर कामयाब हो गए हैं। राजस्व परिषद के ठीक उलट इन पेशकारों की मंशा यह है कि, मुकदमों की संख्या लगातार बढ़े। वे लम्बे चलें। और इसी के साथ इनकी आमदनी भी बढ़ती रहे। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की तहसील हर्रैया में उप जिलाधिकारी के दो न्यायालयों का चलना वैसे तो वादकारियों के हित में है। लेकिन पेशकार की अपनी अलग पीड़ा होती है। उन्हें इस बात का दुःख हमेशा लगा रहता है कि, इससे उनके न्यायालय के मुकदमे आधे हो जाते हैं। और जाहिर है इसी के साथ उनकी कमाई भी। ऐसे में इन्हें नित नई नई तरकीबें आजमानी पड़ती हैं। जो कई बार वादकारियों के लिये बेहद घातक भी सिद्ध होती हैं। पूर्व उप जिलाधिकारी सुखवीर सिंह के स्थानांतरण के समय मौका देखकर इनके न्यायालय के सारे दैनिक सुनवाई के मुकदमे एक ही झटके में सूची से खत्म कर दिये गए। और इन्हें सामान्य मुकदमों के साथ एक बार फिर लम्बी तारीखों में धकेल दिया गया...