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हर्रैया में पेशकार युग की हुई शुरुआत

  - एसडीएम का हवाला देकर लील गये दैनिक सुनवाई के सारे मुकदमे, अब छोटी तारीख के लिये माँग रहे दाम। पुराने राजस्व वादों के शीघ्र और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण की परिषदीय मंशा को धूल चटाने में हर्रैया तहसील के पेशकार एक बार फिर कामयाब हो गए हैं। राजस्व परिषद के ठीक उलट इन पेशकारों की मंशा यह है कि, मुकदमों की संख्या लगातार बढ़े। वे लम्बे चलें। और इसी के साथ इनकी आमदनी भी बढ़ती रहे। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की तहसील हर्रैया में उप जिलाधिकारी के दो न्यायालयों का चलना वैसे तो वादकारियों के हित में है। लेकिन पेशकार की अपनी अलग पीड़ा होती है। उन्हें इस बात का दुःख हमेशा लगा रहता है कि, इससे उनके न्यायालय के मुकदमे आधे हो जाते हैं। और जाहिर है इसी के साथ उनकी कमाई भी। ऐसे में इन्हें नित नई नई तरकीबें आजमानी पड़ती हैं। जो कई बार वादकारियों के लिये बेहद घातक भी सिद्ध होती हैं। पूर्व उप जिलाधिकारी सुखवीर सिंह के स्थानांतरण के समय मौका देखकर इनके न्यायालय के सारे दैनिक सुनवाई के मुकदमे एक ही झटके में सूची से खत्म कर दिये गए। और इन्हें सामान्य मुकदमों के साथ एक बार फिर लम्बी तारीखों में धकेल दिया गया...